मंत्री पद गंवाने के बाद अब ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा पर भी संकट के बादल छाने लगे हैं। सियासी हलकों में उनकी पार्टी के विधायकों के भी बगावत कर भाजपा के पाले में जाने की चर्चा शुरू हो गई है। इन चर्चाओं को ओमप्रकाश का वह बयान भी बल दे रहा है, जिसमें उन्होंने मंत्री पद से बर्खास्तगी के बाद कहा था कि जिसको जहां जाना है जाए, हम किसी को नहीं रोकेंगे।दरअसल 2002 में गठित सुभासपा का पहली बार 2017 के विधानसभा चुनाव में खाता खुला था। पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर खुद पहली बार विधायक चुने गए थे। 2017 में भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा की 8 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली सुभासपा के चार विधायक चुने गए थे। 

 

इनमें ओमप्रकाश खुद गाजीपुर की जहूराबाद सीट से चुनाव जीते थे। त्रिवेणी राम भी इसी जिले की जखनिया और कैलाशनाथ सोनकर वाराणसी की अजगरा व रामानंद बौद्ध कुशीनगर की रामकोला सीट से विधायक चुने गए थे। इनमें राजभर को छोड़कर तीनों विधायक अनुसूचित जाति के हैं।

पार्टी के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो सुभासपा के तीनों विधायक राजभर की उपेक्षा के चलते पहले से ही असंतुष्ट हैं। इसका अंदा