लोकसभा चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी के संगठन में बड़े बदलाव होंगे। विदेश से लौटकर अखिलेश यादव प्रदेश से लेकर जिलों तक संगठन की ओवरहॉलिंग करेंगे। 

सपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही फ्रंटल संगठनों में भी नए अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है। बसपा से गठबंधन टूटने के बाद सपा संगठन में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव के जमाने के प्रयोगों को दोहराया जा सकता है।

लोकसभा चुनाव में सपा को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। इसकी एक वजह संगठनात्मक कमजोरी भी रही। भाजपा ने जिस तरह अपने संगठन की व्यूह रचना की, सपा उसका मुकाबला नहीं कर पाई। सपा की प्रदेश कमेटी का भी विधिवत गठन नहीं हो सका। फ्रंटल संगठनों में भी उतनी सक्रियता नहीं रहे। चुनाव के दौरान पार्टी छोड़ने वाले नेताओं को संगठन मना नहीं सका। 

कार्यकर्ताओं व संगठन के बीच संवाद का अभाव रहा। इस कमी को दूर करने के लिए ऊपर से नीचे तक संगठन में बदलाव कर उसे और गतिशील बनाया जाएगा। युवा संगठनों में नए नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी। संगठन में आमूलचूल बदलाव करके कार्यकर्ताओं व समर्थकों का मनोबल बढ़ाया जाएगा